Thursday, January 5, 2012

स्कूल चले हम...

सवेरे-सवेरे यारों से मिलने
बन-ठन के निकले हम

सवेरे-सवेरे यारों से मिलने
घर से दूर चले हम

रोके से ना रुके हम
मर्जी से चले हम
बादल सा गरजे हम
सावन सा बरसे हम
सूरज सा चमके हम
स्कूल चले हम

इसके दरवाजे से दुनिया के राज खुलते हैं
कोइ आगे चलता है
हम पीछे चलते हैं
दीवारों पे किस्मत अपनी लिक्खी जाती है
इस से हम को जीने की वजह
मिलती जाती है

रोके से ना रुके हम
मर्जी से चले हम
बादल सा गरजे हम
सावन सा बरसे हम
सूरज सा चमके हम
स्कूल चले हम

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